विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होगी आम आदमी पार्टी; सोमवार को बेंगलुरु में होनी है मीटिंग
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एससी/एसटी एक्ट मामले में गिरफ्तार व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर डॉ आनंद राय को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट जमानत की शर्तें तय करेगा. CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने रिहाई के लिए जमानत शर्त तय करने के लिए मध्य प्रदेश की निचली अदालत को कहा है. कोर्ट ने कहा जिस अदालत में मुकदमा चल रहा है जमानत की शर्तें भी वहीं से तय होंगी. दरअसल व्यापम घोटाले के व्हिस्ल ब्लोअर डॉक्टर आनंद राय को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया था. इसे चुनौती देते हुए डॉक्टर आनंद राय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जमानत याचिका खारिज करने की मांग की. हलफनामे में मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि अपराध की गंभीरता और बड़े पैमाने पर समाज पर इसके बड़े प्रभाव को देखते हुए जमानत ना दी जाए. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि आनंद राय का सरकारी रिकॉर्ड्स के मुताबिक भी आपराधिक इतिहास रहा है. वो न्याय की प्रक्रिया से भाग सकते हैं. बता दें कि स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर लक्ष्मण सिंह मरकाम की शिकायत पर डॉ राय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. उसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि डॉ राय और कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने फेसबुक से कंटेंट में हेरफेर किया था. मरकाम ने शिकायत में कहा, “उन्होंने एससी/एसटी समुदाय के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें बदनाम करने के लिए सार्वजनिक मंच पर पोस्ट कर दिया.”
जमानक की याचिका में कहा गया है कि आनंद राय के खिलाफ साजिश रचकर उन्हें प्रताड़ित किया गया है. सरकार के अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता से कई बार बदला लेने की कोशिश की जा चुकी है. इसकी वजह ये है कि उन्होंने घोटाला उजागर कर इन लोगों के गठजोड़ को बेनकाब किया था. याचिकाकर्ता राय कानून का पालन करने वाला नागरिक है. उन्हें कभी किसी अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है. यानी उनका पिछला रिकॉर्ड बेदाग है. राय को मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में अनुसूचित जाति जनजाति प्रताड़ना निरोधक कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर पिछले साल 15 नवंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था. तब से वो जेल में ही हैं. निचली अदालत और हाईकोर्ट ने उनकी जमानत मंजूर करने से इंकार कर दिया था. पिछले साल 12 दिसंबर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी. उसके बाद उस आदेश को चुनौती देते हुए राय ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
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